बेटा पूछे बाप से
बेटा पूछे बाप से
की आप हो कहाँ ?
मेरे बाप हो कहाँ ?
पहाड़ आप को बुला रहा
नये सपने वो सजा रहा है
बीज नये विकास की राह के
गरीब क्रांति संग बो रहा
की आप हो कहाँ ?
मेरे बाप हो कहाँ ?
टूट फुट वो रहा
अपने से वो अब सब छूट रहा
उजाड़ा कर अपने खेत और वनों को
आप यहां से चले गये कहाँ
की आप हो कहाँ ?
मेरे बाप हो कहाँ ?
गरीब क्रांति सेना की राह
मेरा सारा पहाड़ है चल पड़ा
दो कदम कम पड़ें हैं आपके
अपने क़दमों को इन से मिला जा
की आप हो कहाँ ?
मेरे बाप हो कहाँ ?
चकबंदी की राह में
अब सब कंधे से कंधा मिला
एक फूल विकास का
आ कर अपने हाथ से खिला
की आप हो कहाँ ?
मेरे बाप हो कहाँ ?
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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