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.खूबसूरत यंहा के नजारे हैं


खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

खूबसूरत यंहा के नजारे हैं
ये पहाड़ ये नदी देखो दिखते कितने न्यारे हैं
फूलों से भरी ये घाटी हमारी है
देखो छोटी सी दुनिया हमारी कितनी प्यारी है
खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

ये श्वेत मुकुट शांत खड़ा ये मेरा हिमाला है
हरे भरे वनों को उसने देखो अपने पर कैसे ओढ़ा है
रोज आये उगता सूरज का यंहा सुनहरा वो दौड़ता घोडा है
पश्चिम में डूबते हुये भी उसने सुनहरे किरणों को यंहा छोड़ा है
खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

बलखाती नदी निकलती है बलखा के यंहा गौमुख से
भगीरथी तेरी गंगा के लिए जय निकलती है यंहा हर एक मुख से
पावन नगरी है ये मेरी ऋषियों और देवों की
हर ताल तट पर गूंजती यंहा पर आरतियाँ मेरे इष्टों की
खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

खूबसूरत यंहा के नजारे हैं
ये पहाड़ ये नदी देखो दिखते कितने न्यारे हैं
फूलों से भरी ये घाटी हमारी है
देखो छोटी सी दुनिया हमारी कितनी प्यारी है
खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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