कुछ तो लिखूं
कुछ तो लिखूं ......२
जो ये मेरा दिल कहे
इस फलक पर सब वो उभरे
जो मै सोचों ये मन मेरे
कुछ तो लिखूं ......२
जो ये मेरा दिल कहे
इस हरेभरे रंग को लेकर
सब के जीवन में मै उतार लूँ
नीले गगन के संग उड़कर
बहती नदी का बहाव बनू
कुछ तो लिखूं ......२
जो ये मेरा दिल कहे
चिड़ियों की तरह चहकूं मै
भौरों की मै गुनगान बनू
फूलों की मुस्कान हो मुझमें
चाहे फिर एक पल का मै मेहमान बनू
कुछ तो लिखूं ......२
जो ये मेरा दिल कहे
वो लिखता चले मुझमें उसे
मै उस पर यूँ ही लिखता चलूँ
गर मै कंही रोक भी गया
मेरे अधूरे पथ पर और कोई चले
कुछ तो लिखूं ......२
जो ये मेरा दिल कहे
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ