समय रथ का पहिया चलता चल
समय रथ का पहिया चलता चल
सुख दुःख सबके बीनता है बीनता चल
समय रथ का पहिया चलता चल
बहती गंगा की धार कहे निर्मल
आज तेरा ये पल ,पल में हो जायेगा कल
समय रथ का पहिया चलता चल
फिर भी कुछ ना माने ना कहे ये मन
उड़ चला … २ तू किधर ये नील गगन
समय रथ का पहिया चलता चल
लिख दिया उसने तेरा आज और कल
बावला बन फिरता बन बन तू किस वन
समय रथ का पहिया चलता चल
समय रथ का पहिया चलता चल
सुख दुःख सबके बीनता है बीनता चल
समय रथ का पहिया चलता चल
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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