ADD

समय रथ का पहिया चलता चल


समय रथ का पहिया चलता चल

समय रथ का पहिया चलता चल
सुख दुःख सबके बीनता है बीनता चल
समय रथ का पहिया चलता चल

बहती गंगा की धार कहे निर्मल
आज तेरा ये पल ,पल में हो जायेगा कल
समय रथ का पहिया चलता चल

फिर भी कुछ ना माने ना कहे ये मन
उड़ चला … २ तू किधर ये नील गगन
समय रथ का पहिया चलता चल

लिख दिया उसने तेरा आज और कल
बावला बन फिरता बन बन तू किस वन
समय रथ का पहिया चलता चल

समय रथ का पहिया चलता चल
सुख दुःख सबके बीनता है बीनता चल
समय रथ का पहिया चलता चल

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ