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इस उम्र में भी


इस उम्र में भी

इस उम्र में भी
दबे जज्बात उभरने ने लगे
देखकर आप को
हम क्यों जाने ऐसे मचलने लगे
इस उम्र में भी

सोये थे कहाँ क्या पता अब तक वो
दिल के किस कोने में उन्हें मार रखा था
आँखें लड़ी थी बीते बरसों लकड़पन में
उन आँखों की यादों को संभल रखा था
इस उम्र में भी

अहसास वो ही है ,वो पहला प्यार वो ही है
गिरी थी प्रेम की बारिश,वो बूंदों की बौछार वो ही है
मै भी तू भी वो ही है और ये समा भी वो ही है
उसी राह पर मोड़े थे कभी कदम हमने अब भी खड़े वहीँ है
इस उम्र में भी

कुछ ना रह जाता ये जाना हमने अब है
बूढी सांसें कह रही है तेरा इन्तजार अब है
रिश्तों के बंदिशों की वो बंधी लगाम हम पर अब भी है
इस उम्र में भी तेरे हिस्से का बचा रखा वो प्यार अब भी है
इस उम्र में भी

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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