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बूढ़े प्यार नहीं करते



बूढ़े प्यार नहीं करते

फिर भी जाने क्यों
किस का इन्तजार करते हैं
अपने ही गिराये घेर में
ना जाने किसके लिये बेकरार रहते हैं
बूढ़े प्यार नहीं करते.......................

इन्तजार की अवधि
किस ने खिंच राखी है कब से
किस लिये वो दूर निहार करते हैं
अपने आप में बैचैनी क्यों पाला करते हैं
बूढ़े प्यार नहीं करते.......................

लफ्ज गुनगुनाते रहते उस के इर्द गिर्द
अकसर उस से बक-बकाते रहते हैं
अपने ही खींझे झुंझलाहट बीच में
अपने को ही समझाते रहते हैं
बूढ़े प्यार नहीं करते.......................

करवट बदलता रहता है
रातभर अपने आहट आहों के साथ
नींद आने का क्यों इन्तजार करता है
नम हो गया तकिया किसे प्यार करता है
बूढ़े प्यार नहीं करते.......................

दिन निकलता नही उनका मगर
ना जाने कैसे वो साल बदल जाता है
पलकों पर ओस की बूंद का निरंतर
ना जाने किसके लिये ठहराव बदल जाता है
बूढ़े प्यार नहीं करते.......................

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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