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लौट आया है



लौट आया है

लौट आया है
मौसम फिर से
आज इन उजाड़ों में

गिर रही है धुप मुलायम
चमकते सफ़ेद बर्फ से बिछे
उन दूर नजारों पे

रंग बदल रहा है
खुद से होकर वो चुपचाप
सुर्ख लाल होठों के रुख़ सारों पे

बदल रहा है
रोज उसका मिजाज
हरपल हर डालों पे

लौट आया अब वो
गिड़गिड़ाने वाला ठंडा
तापमान की गिरावट में

झूम रही है
अब सारी दुनिया
हमारे गीतों खलिहानों में

पतझड़ की बाहें पकडे
आये बैठे पाखी चहके
दूर उन मकानों से

लौट आया है
मौसम फिर से
आज इन उजाड़ों में

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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