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माँ तेरे आँचल में



माँ तेरे आँचल में

माँ मैंने अपने पहाड़ को बाँध रखा तेरे आँचल से
माँ मैंने तेरे प्यार को बाँध रखा है इस आँचल में

माँ इस संसार को बांध रखा मैंने तेरे आँचल से
माँ सुबह शाम को बांध रखा मैंने तेरे आँचल में

माँ तेरी हर बात को बांध रखा मैंने तेरे आँचल से
माँ तेरे उस साथ को बांध रखा मैंने तेरे आँचल में

माँ तेरी हर याद को बांध रखा मैंने तेरे आँचल से
माँ तेरे उस मार को बांध रखा मैंने तेरे आँचल में

माँ तेरे आँखों की भाषा बांध रखी मैंने तेरे आँचल से
माँ तेरे आँसूं की बहती धार बांध रखी मैंने तेरे आँचल में

माँ ये टूटे फूटे दो शब्द जोड़ रखे मैंने तेरे आँचल से
माँ ये शीश झुका छुपा रखा है मैंने तेरे आँचल में

माँ और क्या लिखूँ सारा कुछ लिखा है तेरे आँचल से
माँ आ अपने सीने में फिर छुपा ले मुझे तेरे आँचल में

माँ मैंने अपने पहाड़ को बाँध रखा तेरे आँचल से
माँ मैंने तेरे प्यार को बाँध रखा है इस आँचल में

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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