ADD

इन सुनसान पहाड़ों में


इन सुनसान पहाड़ों में

इन सुनसान पहाड़ों में
किसने ये कहानी लिखी है जी
इन बहती नदियों में
कितनी जवानी बही है जी
इन सुनसान पहाड़ों में............

खाली ये हो रहे हैं
वो बहती ही जा रही है
पथराई वो आँखों से
बस रोती ही जा रही है जी
इन सुनसान पहाड़ों में............

कौन सुनेगा दर्द
किसको सुनाये हम
अपनों के ही दिये जख्म
किस को जी दिखाये हम
इन सुनसान पहाड़ों में............

चलता ही ये यूँ रहेगा
रोकेगा ये ना लगता अब थमेगा
जब तक खुद की सोच को
हम ना बदलेंगे ये ना बदलेगा
इन सुनसान पहाड़ों में............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ