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ख्याल के इस समंदर में


ख्याल के इस समंदर में

ख्याल के इस समंदर में
विचार की लहर उठी है
राय अपना मत देना यारों
अपेक्षा बस दूर किनारे की

ख्याल के इस पहाड़ में
मौन है वो खड़ा सदियों से
इन्तजार की वो घड़ियाँ है
दुःख है बस छूटते पलों का

ख्याल के इस नदी में
लग्न है कहीं पर पहुँचने की
एक से कहीं दूर जाने की
दूसरे में जाके मिल जाने की

ख्याल के इस इंसान में
ना शक्ल है ना तो अक्ल है
प्रकृति के इन सत्कार के भी
जरा भी ना इसका आदर है

ख्याल के इस समंदर में..........

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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