मै अपनी मौत सामने देख रो पड़ा
मै अपनी मौत सामने देख रो पड़ा
हँसना मुझ से ये जिंदगी मैं क्यों कर आज रो पड़ा
तुझ से बिछडन ख़ुशी या उससे मिलन ग़म
ना जाने क्या वो हाल ना जाने मै क्यों रो पड़ा
जाने के दरवाजे पर खड़ा था मै अब अकेले
अकेला गुजरा था सारा सफर सोच मै रो पड़ा
कुछ हिला था कुछ देर इस सीने और मैं सो गया
छोड़ा शरीर खुद अपना देखकर मै रो पड़ा
चिता में जला अब धुँआ बनकर मैं हवा की तरह
खुद को राख होते देखकर मै रो पड़ा
मै अपनी मौत सामने देख रो पड़ा
हँसना मुझ से ये जिंदगी मैं क्यों कर आज रो पड़ा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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