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माँ वंदना



माँ वंदना

अक्षरों के समंदर में
माँ
तुझे ढूंढो
मै किस वन में
अक्षरों के समंदर में
हे वीणा वादिनी
वरदे वरदे
अपन हस्त
इस शीश धर दे
अक्षरों के समंदर में
खोया खोया
मै फिर रहा हूँ
हर दर दर
मै भटक रहा हूँ
हे वीणा वादिनी
वरदे वरदे
मुझ को तेरा दर दे
अक्षरों के समंदर में
छाया है आज
अज्ञान अँधेरा घना
माँ ज्ञान की
तू छोटी ज्योत जगा
आँखें बंद कर
बैठ बालक तेरा
अब तू ही आ के रास्ता दिखा
हे वीणा वादिनी
वरदे वरदे
अपन हस्त
इस शीश धर दे
अक्षरों के समंदर में
माँ
तुझे ढूंढो
मै किस वन में

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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