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बाकी कुछ याद नही


बाकी कुछ याद नही

वो स्कूल
वो जमाना
वो पनघट
वो आम का पेड़
वो स्कूल मेरा पुराना
वो याद है पहला दिन
वो अब भी मुझे
वो पाणी सैण स्कूल में जाना
वो उम्र कुछ पांच ,छह होगी
वो बस्ते अंदर स्लेट खडु थे
वो साथ एक पोटली बांध रखी थी
वो कुछ घी रोटी ,गुड़ के टुकड़े थे
वो बंधा था मेरी माँ ने
वो पोटली उसने अपने स्नेह से
वो स्कूल के उस पहले दिन में
वो बस याद है अब इतनी बाकी
वो स्कूल की
वो बीच की छुट्टी
वो बैठ था मध्यान में
वो आम के पेड़ तले अकेल
वो हाथ में थी
वो ही गुड़ और रोटी माँ की
वो स्वाद
वो अब भी जुबान में मेरे
वो मेरी माँ के स्नेह की
और बाकी कुछ याद नही

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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