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अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है


अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है

अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है
चल घूम आये अब तो ,देखें तेरा पहाड़ कैसा है
अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है

शर्मीली एक कली होगी ,फूल बनने वो खिली होगी
क्षण भर उसका वो जीना,खुशबू ही उसका वो नगीना

वो जीवन देख आयें हम ,चल तेरा पहाड़ घूम आये हम
अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है

दूर एक नदी होगी ,झरनों के संग वो बही होगी
कितनी अड़चन आये ,फिर भी ना रुकी ना थमी होगी

वो नदी के संग बह आये हम, चलो जीना सीख आये हम
अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है

वहां हर एक कंकड़ पहाड़ होगा,भगवान शिव का वो संसार होगा
ऋषियों मुनियों की देवभूमि,मेरे पूर्वजों की वो कर्म भूमि

वो अचल शांत धैर्य कब से खड़ा , वो पहाड़ देख आये हम
अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है

अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है
चल घूम आये अब तो ,देखें तेरा पहाड़ कैसा है
अपने लगे हैं कहने ,गैरों ने भी कहा है

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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