हम ने देखे बस रोते हुये चेहरे यहाँ
हम ने देखे बस रोते हुये चेहरे यहाँ
हँस भी दे अगर वो लगते हैं रोते ही हुये
फितरत ऐसी बनी बस रुसवाईयाँ मिली
वफ़ा ने राह चली वहां भी बेवफाई मिली
बादा-ख़्वारियाँ मौसम का आगाज हुआ
बदनामियों ने जब जा मैखाने से कहा
रस्ते पड़ा मिलेगा अब मोहब्बत नामा
रोती गजल मिलेगी वहां सिसकते हुये
हम ने देखे बस रोते हुये चेहरे यहाँ
हँस भी दे अगर वो लगते हैं रोते ही हुये
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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