आओ चलें , चलो चलें
आओ चलें , चलो चलें
फिर से हम ,उसी बचपन में
अपने उसी बचपन में
आओ चलें , चलो चलें
भागती दौड़ती ये जिंदगी से
रोती बस रोती ये जिंदगी से
कुछ पल आ हम दोनों और चुरा लें
बीते पलों की वो रूठी हंसी को आ फिर से बुला लें
आओ चलें , चलो चलें
फिर से हम ,उसी बचपन में
अपने उसी बचपन में
आओ चलें , चलो चलें
जंहा कोई बेगाना ना था
अपना था सब कोई पराया ना था
उस ख़ुशी को क्यों आज हम भूले
कितने हसीँ थे वो झूले चलो फिर चलें झूले
आओ चलें , चलो चलें
फिर से हम ,उसी बचपन में
अपने उसी बचपन में
आओ चलें , चलो चलें
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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