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चलों रातों से बातें कर लें




चलों रातों से बातें कर लें

अ आ अ अ अ अ
चलों रातों से बातें कर लें
इन अंधेरों से आँखें चार कर लें

उन उजालों में जो ना हम देख पाये
इन रातों में उनका अहसास कर लें

वो आँखें जो हरदम धोखा खाती हैं
बंद कर अँधेरे में ही वो सुख पाती है

खोयी है अपने से वो सांसे दूर
चलो उन सांसों को अपने वश कर लें

चलों रातों से बातें कर लें
इन अंधेरों से आँखें चार कर लें

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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