मैं जग को बदलने को चला
मैं जग को बदलने को चला
बस खुद को बदलना भूल गया
इस झूठी माया में मै आ फंसा
और राम नाम जप ना भूल गया
मंदिर मंदिर मैं भटकता रहा
माँ पिता जी की सेवा करना भूल गया
अपनी तकलीफ देख के मै रो पड़ा
दूसरों की तकलीफ देख रोना भूल गया
हिन्दू वो मुस्लिम, ईसाई दिखा मुझे
मै बस इंसान को देखना भूल गया
दो पल की मुझे बस सांसें मिली
मै उसमें कैसे जीना वो भूल गया
मैं जग बदलने को चला
बस खुद को बदलना भूल गया
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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