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तेर क़दमों में छुपा होगा बिता वक्त मेरा



तेर क़दमों में छुपा होगा बिता वक्त मेरा

तेर क़दमों में छुपा होगा बिता वक्त मेरा
ये चेहरा ही बिका है वो यूँ चौराह पर चढ़ा

धूल बन उड़ा ले गया मेरे सपनों का जंहा
वहीँ दूर छूटा वो मेरे क़दमों का निशां

वो कहानी छूटी मेरी उसे पूरी लिख दूँ जरा
जंहा जिंदगी सच हो थोड़ा सच्चा थोड़ा झूठा

रोयें या हँसे हम ऐ गुजरते वक्त आ तू बता
तुझे भी फुर्सत नहीं तू आया और गुजर गया

तेर क़दमों में छुपा होगा बिता वक्त मेरा
ये चेहरा ही बिका है वो यूँ चौराह पर चढ़ा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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