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मै तो बस


प्रणाम

आप शायद इन्हे पहचानते हैं. ये भी तो पहाड़ी हैं …… और जी ये कहदा जी नमस्ते ...हम उत्तराखंडी छों और्री जी आप

चित्र मेरी
पुत्री जाग्रति ध्यानी और पुत्र आयुष ध्यानी

मै तो बस

मै तो बस इन के सपने बुनता हूँ
कैसा उत्तराखंड दूँ इन्हे ये दिल हरपल सोचता है

छोड़ ने का दर्द क्या होता पूछो कोई मुझ से
लौट आने का वादा जब भी मै उनसे करता हूँ

अब भी दर्द मेरा रोता ये आँसूं कहता है
देख तस्वीर उनकी अब दिन गुजरता है

उनके बीते पल संग ही अब तो हमारा गुजारा होता
उनके यादों का सहरा वो अब हमारा किनारा होता है

मै तो बस इन के सपने बुनता हूँ
कैसा उत्तराखंड दूँ इन्हे ये दिल हरपल सोचताहै

ध्यानी बालकृष्ण धीरजमणी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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