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हम तो रह गये अपने ख़याल में


हम तो रह गये अपने ख़याल में

हम तो रह गये अपने ख़याल में
जिंदगी और उसके सवाल में

रेखाओं के फैले माया जाल में
फंस गया जी देखो किस जंजाल में

शब्द अर्थ और उसके विचार में
बैठा रह गया दिल किसके प्यार में

उलझे रहे हम अपने कारोबार में
अंध तृष्णा की वो भागती दौड़ में

अंत अवसान की वो राह में
अंधकार से क्या चले थे हम उस प्रकाश में ?

हम तो रह गये अपने ख़याल में
जिंदगी और उसके सवाल में

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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