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आईना आईने से जब बतिया ने


आईना आईने से जब बतिया ने

आईना आईने से जब खुद बतिया ने लगे
भेद सारे दिल के खुद ब खुद अब खुल जाने लगे

अपने ही से अब वो देखो शर्म ने लगे
बात जो पता चल गयी है हमे क्यों कर वो छुपाने लगे

आँखों की भाषा पड़ ली है अब हम ने भी चुप के से
क्यों कर वो अब हम से ही वो देखो आँखें चुरा ने लगे

बैठ बैठ खुद से खुद अब वो मंद मंद मुस्कुराने लगे
हौले हौले से अब वो मेरे इस दिल को गुदगुदाने सताने लगे

पहले प्रेम का पहला पल है वो मेरे हमदम हमारा तुम्हरा
साँसे सांसों को अब हमारे देखो वो क्यों कर महकाने लगे

आईना आईने से जब खुद बतिया ने लगे
भेद सारे दिल के खुद ब खुद अब खुल जाने लगे

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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