ईशारा से मैं बुलन्दी
आँखि दगड आँख मटकण दि
ईशारा से मैं ऊ बुलन्दी
औ बांदा ईशारा से मैं बुलन्दी
बता दे ये बांदा तेरु नौ क्या च
कण छुईं लगान्दी दिल लुछी जांदी
माया से भोरी ऐ बोरी
मिल अपरी कंधामा ते सरयाँण
बता दे ये बांदा तेरु गौं क्या च
कण तै पर माया लगाण
कण तै थे आधु बाटू पर अढ़ण
अपरी आप समझे दे मिथे
छुछि अपरू जियु को भेद बता दे
ईशारा से मैं बुलन्दी
हे बांदा मे ईशारा से मैं बुलन्दी
ईशारा से मैं बुलन्दी ……ईशारा से मैं बुलन्दी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
आँखि दगड आँख मटकण दि
ईशारा से मैं ऊ बुलन्दी
औ बांदा ईशारा से मैं बुलन्दी
बता दे ये बांदा तेरु नौ क्या च
कण छुईं लगान्दी दिल लुछी जांदी
माया से भोरी ऐ बोरी
मिल अपरी कंधामा ते सरयाँण
बता दे ये बांदा तेरु गौं क्या च
कण तै पर माया लगाण
कण तै थे आधु बाटू पर अढ़ण
अपरी आप समझे दे मिथे
छुछि अपरू जियु को भेद बता दे
ईशारा से मैं बुलन्दी
हे बांदा मे ईशारा से मैं बुलन्दी
ईशारा से मैं बुलन्दी ……ईशारा से मैं बुलन्दी
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