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मेरी भूमि भूम्याली



मेरी भूमि भूम्याली

मेरी भूमि भूम्याली
बणों बणों मा पसरी हैरायलि
कख जानू ये छोड़ी की लाटा
ये ना छिन तेरा जणा का बाटा
मेरी भूमि भूम्याली

कया कया नि द्याई इन हम थे
कया कया नि पाई हमुल इं से
जब विं थे देना की बारी ऐ
भुला तू ये बकसा उठे कख हीटे
मेरी भूमि भूम्याली

बगत नि रैगे पैलि जनि अब
मिल बी मान नि राई पैली जनि लोक
पर तू किलै की बदल्नु छे रे
अपरा बाण ही तू किलै जिनु छे रे
मेरी भूमि भूम्याली

देख आस लगै कि वा बी बैंठी चा
तू बी यख रैकी साथ निभै ले
क्या पाई इन ते थे पढ़े लिखे की
तेरो बी सोर बल भैर ही सजे रे
मेरी भूमि भूम्याली

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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