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कब यख भत्ते लमडी



कब यख भत्ते लमडी

कब यख भत्ते लमडी
कब वख भत्ते लमडी
इतगा जियु की हानि
इतगा घैल व्हैगे प्राणी

कबै फुट गे कपला
कबै टूटगे ये खुठी
कन निंदि तै ऐगै ई
कन तुंड तिन गाडी चलैई

कन सड़की ये मेरी
कन वोंका ये तिरका मोड़
सर सर र र चलीगै
ये जीप मेरी रोला खोल

पांच हजार ट्क्का घैल कू
द्वि लाख ट्क्का मोर्युं कू
बल छूटगे इनि सब कूच
द्वि दीना दुःख कु मोल

कब यख भत्ते लमडी
कब वख भत्ते लमडी
इतगा जियु की हानि
इतगा घैल व्हैगे प्राणी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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