ADD

मेरु पुंगडीयुं कू प्याज



मेरु पुंगडीयुं कू प्याज

मेरु पुंगडीयुं कू प्याज
तू छूछा किलै हुंय च नाराज
रुपै मिल तै थे बड़ेई भी मिल
फूल खिले ते पर खंदे की तब पाई मिल
मेरु पुंगडीयुं कू प्याज …

में से जबेर बिछड़ी गै तू प्याजा
तै बगत छे तू भुंय ही भुंय मेर गैल्या मेरा मित्रा
दूर जैकी तिल कद्ग अबरी दा आसमान च छुयाँ
बाथ दे तू अब बैठ्युं कै काला बाजार
मेरु पुंगडीयुं कू प्याज …

समान्य नजरि मा मचेगे तू रगरायाट
उथल पुथल तू कैगै उंका खाणा कु भांड
मैना कु बजट मा लगै ई दिल तैंन ऐसा उचाट
कन ये दिस जाल उबरयूं च अब ये सवाल
मेरु पुंगडीयुं कू प्याज …

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ