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हवा हूँ मैं हवा हूँ



हवा हूँ मैं हवा हूँ

हवा हूँ मैं हवा हूँ
मैं आ कर गुजर जाऊंगा
पास आ कर मैं तेरे जब भी जाऊंगा
एक अहसास तुझे मेरे होने का दे जाऊंगा
हवा हूँ मैं हवा हूँ

उड़ते रहते है जो मेरे ख़याल तेरे साथ में
बातें करते है जो आ के बिलकुल तेरे पास में
वो वैसे जज्बात तुझ में मैं हर वक्त जगा जाऊंगा
तुझे छू ने इसी बहाने मैं बार बार आऊंगा
हवा हूँ मैं हवा हूँ

कभी सर झट दौड़ के तेरे पास से मैं उड़ जाऊंगा
कभी माध्यम माध्यम बह के तेरे समीप आऊंगा
बेचैन होगी जब भी तू अकेले अकेले में
देख कैसे ना कैसे मैं तुझ से अपनी बातें कर जाऊंगा
हवा हूँ मैं हवा हूँ

नाराज ना होना ना कभी होना ख़फ़ा तू
कभी ना करना शक़ मेरी वफ़ा की जफ़ा पर तू
कभी बह ना सका अगर अपने से ही अपने में
समझ लेना की मैं था बहुत मजबूर उस घेरे में
हवा हूँ मैं हवा हूँ

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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