दोगले लोग हैं दोगली है ये दुनिया
दोगले लोग हैं दोगली है ये दुनिया
कैसे लोग हैं कैसे कैसों से छिपी लिपि है ये दुनिया
दर्द अपना है तो परायी हो गयी है ये दुनिया
सुने घर मेरे पड़े हैं खिली पड़ी उनकी है ये दुनिया
दशक पहले किस्मत पर हमे छोड़ कर चल दी है ये दुनिया
बड़े बोल बोल कर अब क्यों मौन हो गयी है ये दुनिया
स्वर्ग मेरा था वो उसे नरक बना गयी है ये दुनिया
सह रहा हूँ मैं अब भी तू इतने से ही डर गयी है ये दुनिया
मुझे विशवास है अब भी मेरे देश पर तू डगमगा गयी है ये दुनिया
हंसा रहा हूँ मैं सब खो कर भी तू क्यों रो रही है ये दुनिया
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ