उखाड़ लेता
उखाड़ लेता
मैं भी उनके सर
उनके घर में ही घुस कर
काश ....
उखाड़ लेता
मैं भी उनके सर
ना रखते अगर
मेरे अपने मुझे
उनकी उन
नीतियों से बाँध कर
काश ....
उखाड़ लेता
मैं भी उनके सर
मेरा अपना
आज कोई खोया है
मेरी सीमा में
ही वो रहकर
काश ....
उखाड़ लेता
मैं भी उनके सर
घुसपेठीये आते है
जैसे आते हैं वो घुसकर
क्या हम भी
जा नहीं सकते वैसे
काश ....
उखाड़ लेता
मैं भी उनके सर
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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