ADD

मैंने कुछ लिखा भी नहीं फिर भी तुमने पढ़ लिया


मैंने कुछ लिखा भी नहीं फिर भी तुमने पढ़ लिया
मैंने मुंह खोला भी नहीं फिर भी तुमने बोल दिया
अचरज ये राज क्या है ये कैसा कह देती हो तुम
बताओ ना छुपाओ कैसे कर देती हो अपने से तुम

ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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