मेरे रोने पे किसी को भी देखो रोना ना आया
मेरे रोने पे किसी को भी देखो रोना ना आया
आंसू निकले मगर उसे मुझे रोकना ना आया
बढ़ती गयी वो मुश्किलें उसे ऐसे मेरे ढोने से
उस कोने को मुझे देखो साफ़ करना ना आया
बहती रही वो वेदना की नदी यूँ ही मेरे जीवनभर
आखिर तक मुझे वो समंदर का किनार ना मिला
एक चीज थी वो खोयी रही मुझसे उम्रभर
बदलना था सोच को मगर मुझे बदलना ना आया
मेरे रोने पे किसी को भी देखो रोना ना आया .......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ