जब मन ही सोया रहा
जब मन ही सोया रहा
अब हम जगकर क्या करेंगे
जब मन ही सोया रहा
ना बातें की कभी खुद से
ना सवाल उठाये कभी खुद पर
रंग रोपण हमने हम पर खूब किया
जब जाना है हमे उसे तजकर
आत्मा ही परमात्मा है
हम सब ये खूब जानते हैं
फिर भी मोह माया में पड़कर
कब उसे हम प्रेम से पुकारते हैं
जो कुछ किया तू ने यंहा
वो आयेगा तेरे पास खुद चलकर
जाना ना पडेगा तब दूर तुझको
जब वो पूछेगा सवाल तुझ से
जब मन ही सोया रहा ..................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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