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चेहरों को अगर मैं पढ़ लेता अगर



चेहरों को अगर मैं पढ़ लेता अगर

चेहरों को अगर मैं पढ़ लेता अगर
मैं आज और अब में कुछ और होता

पढ लेता सबसे पहले चेहरा मैं माँ का अगर
ममता से तब ये मेरा हिर्दय भर जाता
देख पाता मैं तब एक नजरों से सबको
स्नेह को बांटता सबको तब बराबर बराबर
चेहरों को अगर मैं पढ़ लेता अगर

दुसरा चेहरा मैं पढ लेता पिताजी का अगर
चेहरा कठोर हिर्दय मेरा कोमलता से भर जाता
सीख लेता मैं जिंदगी के बाहरी रंग भी
उन सेअपना ये जीवन मैं भी रंग देता
चेहरों को अगर मैं पढ़ लेता अगर

तीसरा चेहरा पड़ लेता मैं गुरूजी का अगर
ज्ञान असंख्य अपने में तब मैं समा लेता
मारा मारा ना फिरता मैं जीवन में अब
तब थोड़ा सा भी गुरूजी से गर मैं पढ़ लेता
चेहरों को अगर मैं पढ़ लेता अगर

चौथा चेहरा मैं पढ़ लेता बुजर्गों का अगर
उनके अनुभवों से अनुग्रहित मैं तब हो जाता
मोड़ मोड़ में वो तब बंध जाते मुझसे
मेरा लक्ष्य और वो रास्ता दिखते मुझसे
चेहरों को अगर मैं पढ़ लेता अगर

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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