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अपनी हथेली पर ग़म के फ़साने हैं


अपनी हथेली पर ग़म के फ़साने हैं
आओ जाओ तुम हम तो दीवाने हैं
तुम्हे पाने की बस अब ये साजिशें हैं
नाकाम ही सही पर ये तो कोशिशें हैं

ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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