दबा हुआ है बहुत कुछ यंहा
दबा हुआ है बहुत कुछ यंहा
आज कल और आज में
कमी रह गयी है हम में
बस इतनी सी ही बात है
भूल अपनी मानते नहीं
बस बात पर बात अपनी बढ़ाते हैं
चलना जहाँ नहीं था हमे
बस उस राह पर हम चलते जाते हैं
बुजुर्गों ने जो कभी कहा था हमे
तब ठीक से ना उन्हें सुन पाते हैं
उम्र गुजरी और वो बुजुर्ग गुजरा
तब उनकी बात पर हम पछताते हैं
कहने की किसी में हिम्मत नहीं
मन ही मन उस बात में हम रह जाते हैं
दिन गुजरा शाम गुजरी समय बीता
तब हम बस सिर्फ अफ़सोस जताते हैं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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