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जैवों मि जख बी


जैवों मि जख बी

जैवों मि जख बी
रावों मि कख बी भुलो ना भुल्दी मि गढ़वाली छों
पिरिती मेरो ये गढ़वाली गीत मेरो गढ़वाली
मेरी बोली बी गढ़वाली मी पहाड़ी छों
जैवों मि जख बी .......

खै मि खै यख मा पिज्जा
पर मैसे वो चुनो को रौव्टा स्वाद भुल्दु निछ
यख सब परया छन पर मि कबी अपरो थे भुल्दु निछो
मेरो जोकोडी मां सदनी म्यारा ढोल दामो बजदीन
यख ऐकि बी ऐ परै भूमि मां मेरो दगडी गढ़वाल कामो नचदिन
जैवों मि जख बी .......

कन परित दंडीचा कन माया लगींचा
कन ऐ जीकोडी भित्र ये घुघूती की घूर घूर लगींचा
को हाक देणु व्हालु क्वी खुद लगाणु व्हालु
बोई को बोगोणा मेरा आंसूं को मिथे रोलाणु व्हालु
मिथे ये परदेश रै रै की को बोलाणो व्हालु
जैवों मि जख बी .......

ये कोना कोना संसार को मिल अब नापी लिंयां जी
जै सुख म्यारो पहाड़ों डंडा धारों मा छ्या वा कखि ना मिल्यां जी
उडों मि अब कख बी परी भुल्दी ना वा आपरी भुंई
ऐंदी रैंदी च पिछने पिछने मेरा अपरे पहाड़े की छुईं
काद्गा भलो लगदी बोलणा कुन मेरा वा दीदी भूली
जैवों मि जख बी .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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