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अब बोला जाता नहीं


अब बोला जाता नहीं

रास्तें खोजों.....खोजों
मंजिल का पता नहीं
कैसे मैं बोलों.....बोलों
अब बोला जाता नहीं

खुश-नसीबी है वो
क्यों इसका गुमां होता नहीं
कितने सरल सच्चे रस्ते हैं वो
क्यों उन पर चला जाता नहीं

किस्मत लिखता है वो
जब खुद से लिखा जाता नहीं
पूछता है प्रश्न बहुत वो
क्यों जवाब देना मुझे आता नहीं

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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