चुपके चुपके .......
चुपके चुपके इन ख्वाब में
अब ना मेरे तुम आया करो
आँखों को करने दो आराम अब
यूँ ना अब तुम इन्हे रुलाया करो
चुपके चुपके .......
माना हम से हुयी थी खता
हम निकले बेवफा
कांटे थे बस वो मेरे लिये
फूलों से रहे हम जुदा
चुपके चुपके उन राहों में
अब मुझे बुलाया ना करो
भूल चुके है हम उन्हें
यूँ ना अब हमे याद दिलाया करो
चुपके चुपके .......
बस फर्क इतना आप में
और मुझ में ये अब रह गया
आप कई आगे निकल गये हम से
और मेरा वक्त वहीँ थम गया
चुपके चुपके आँखो से
अब बस बहने लगे हो तुम
मैं कुछ कह नहीं पाता अब भी
बस अब भी कहने लगे हो तुम
चुपके चुपके .......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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