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मन के कंवल में



मन के कंवल में

मन के कंवल में
शब्द खिल पड़े ...
मन के कंवल में
आज शब्द खिल पड़े ...
अरे होने लगी बरखा
आज मेर मन में

भीगा भीगा मन
भीगा संग जोबन
भीगा भीगा मन
आज भीगा संग जोबन
अरे आने लगा है मजा
आज मेर मन में

घिर घिर के
रोज आओ तुम
घिर घिर के
अब रोज आओ तुम
अरे शुरु होने लगी जिंदगी
आज मेर मन में

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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