ADD

तुम से अगर मैं मिलने आऊं


तुम से अगर मैं मिलने आऊं

तुम से अगर मैं मिलने आऊं
मगर आऊं कैसे
मिलने आऊं बहुत मन तो करता
मगर वो रास्ता मिले ना मुझे
तुम से अगर मैं मिलने आऊं ....

मेरे साथ हो तुम
ये ख्याल जब मैं खुद से करूँ
एक अलग सा अहसास जगे
और मैं तेरे साथ साथ चलूँ
मेरा मन अब ना मेरे पास वो चल साथ साथ तेरे
मिलने आऊं बहुत मन तो करता
मगर वो रास्ता मिले ना मुझे
तुम से अगर मैं मिलने आऊं ....

अपने हाथों की लकीरों को जब मैं देखों
वो तेरा चेहरा ही क्यों मुझे दिखाये
तेरे मन की प्यास को अगर मैं भी पड़ लूँ
मेरे मन की वो प्यास और बढ़ जाये
वो प्यास बुझाने का मन तो करता
मगर वो रास्ता मिले ना मुझे
तुम से अगर मैं मिलने आऊं ....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ