अब भी बहुत कुछ तुझ से कहना बाकी रह गया
अब भी बहुत कुछ तुझ से कहना बाकी रह गया
तुझ पर बार बार मेरा मरना अब बाकी रह गया
मेरी दुनिया मेरे जज़्बात की हकीक़त बस तुम थी
तुम संग मेरा इजहार करना अब बस बाकी रह गया
मौसम हवा नमी इन आँखों की बहती नदी हो वो तुम
उन सासों कि कमी का वो अहसास अब बाकी रह गया
प्यार का तोफा हर किसी को अब यंहा मिलता नही
तेरे बाग़ का वो फूल तोड़ना मेरा अब बाकी रह गया
नींद मेरी मोहब्बत बन गयी बेवफा रात भर आती नहीं
अब फ़ना हो कर भी कब्र में मेरा सोना अब बाकी रह गया
प्यार तो जिंदगी का एक खूबसूरत अफसाना है तराना है
उस अफ़साने का तराना मेरा गाना देखो अब बाकी रह गया
अब भी बहुत कुछ तुझ पर मेरा लिखना बाकी रह गया
कलम खफा हो गयी उसे मेरा मनाना अब बाकी रह गया
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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