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ईंनि जनि तनि वनि कनि व्हाली वा


ईंनि जनि तनि वनि कनि व्हाली वा

ईंनि जनि तनि वनि कनि व्हाली वा
मुक भतिकि किलै मिथे दिनी व्हली गाली वा

अब त मिथे लगनि लगि किलै कि इतगा प्यारी वा
लस्का दस्का कैरी कि हीटनी च सारि स्यारी वा

सुन ऐजा जा सुपन्य बणी कि ऐजा मेर खैल मा
द्वीई द्वीई बैथिकि अब माया लगोंला मेर खैल मा

ना बिसरि जै मिथे मि त ना बिसरयुं द्यूंला तिथे
भेंट हुँई च तेरी मेर आच अचणचक पौड़ी बाजार मा

ईंनि जनि तनि वनि कनि व्हाली वा
ब्योली अब कबैर बनेली मेरी वा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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