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यूँ उट्ठरयु मा





यूँ उट्ठरयु मा

यूँ उट्ठरयु मा माया बसीच
विं पतळी अधरों देकदा देकदा
कदगा ये बाटा बिरडया छन
यूँ उट्ठरयु मा

बैठ्युं छों कलम और कागद लेकि
तेरा रूप की जबै मिल वा गागर देकि
भूली ग्युं बिसरि ग्युं कै बाण यख मि अयुं छों
यूँ उट्ठरयु मा

तेर उट्ठरयु न इन मै परी जादू कयाई
हर्चि गै सब मेरो मैसे कुच बी न राई
यखुली नि छों मि अब तू बस साथ मैमा
यूँ उट्ठरयु मा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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