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बरोस बारिस बतेक


बरोस बारिस बतेक

बाणग सलगी च
बरोस बारिस बतेक
मेरो जंगलता मा मेरो पहाड़ा मा
कबि हैरु भैरु घास बाण
कबी पोटगी को दांडी कंठी को आग बाण

सुपनिया का वो आँखा धैर धरिकि
बैठ्या छन वा वै भविष्या का बाटा मा
आस लगै की वैन धरिचा लुकऐंच
जिकुड़ी को कै एक भागा मा

पेटदी रैंदी इंनि सदनि
हर बारी वा रै रैकी अपरा अपरा मा
ईंनि सदनि धैय लगांदि रैंदी वा
यखुली यखुली डाली बोटी की चढ़ी कन्धा मा

कबि नि बुझेंदी वा
कबि नि वा अड़ेदी ना वा कबि थमेंदि
सर सर सर रौड़ी दौड़ी जांदी वा
कबि ना हत आंदी वा ना पकडे जांदी
मेरो जंगलता मेरो पहाड़ा की आग वा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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