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जिन्हें प्यार है वतन से


जिन्हें प्यार है वतन से

जिन्हें प्यार है वतन से
वो देश के काम हैं आते
लहू  अपना बहा कर वो
माँ चरणों में वो शीश चढ़ते
जिन्हें प्यार है वतन से .....

देश  के वो दीवाने  देश  के वो ऐसे मस्ताने

ज़माने भर में मिलेंगे आशिक
पर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता
नोटों से लिपट कर मरे हैं कितने
पर तिरंगे जैसा कोई कफ़न नहीं होता
जिन्हें प्यार है वतन से .....

देश  के वो दीवाने  देश  के वो ऐसे मस्ताने

सीनें में मेरा ज़ुनू है
ऑखों में है झलकती मेरी देशभक्ति
दुश्मन की वो साँसें थम जाए
आवाज में मेरी ऐसी खनक  है
जिन्हें प्यार है वतन से .....

देश  के हम दीवाने  देश  के हम  मस्ताने

करता हूँ माँ ये गुजारिश
तेरे सिवा कोई बंदगी न मिले
हर बार जन्मों इस धरा पर
ना  तो फिर ये जिंदगी ना मिले
जिन्हें प्यार है वतन से .....

देश  के हम दीवाने  देश  के हम  मस्ताने

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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