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दर्द भरी है नज्म तेरी



दर्द भरी है नज्म तेरी

दर्द भरी है नज्म तेरी
कहती है वो नजर मेरी

एक एक आंसू टप जाते हैं
एक के बाद एक वो अब आते जाते हैं

रोकने की बहुत कोशिशें की थी
पर वो अब कहाँ रुक पाते हैं

लिखा है या है ये दर्द तुम्हरा
क्यों लगता है अब वो हमारा

कैसा अपनापन है वो
कैसी वो तड़पन है

बांध रखा है कैसे अपने से तुमने
कैसी अनदेखी ये जकड़न है

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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