ADD

एक गीत बनाने के लिए ......


एक गीत बनाने के लिए ......

एक गीत बनाने के लिए
काट जाती हैं कई रातें
वो अहसास जगाने के लिए
काट जाती हैं कई सांसें

एक गीत बनाने के लिए ......

ना तो दिन की खबर है
ना तो देह की फ़िक्र है
एक तुझ को मनाने के लिए
गुजर जाती हैं कई राहें

एक गीत बनाने के लिए ......

वो सब कुछ ही तो भीतर था
जो देखा है मैंने सब बाहर
पर खुद को समझने के लिए
गुजर जाती है कई जिंदगी

एक गीत बनाने के लिए ......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ