एक गीत बनाने के लिए ......
एक गीत बनाने के लिए
काट जाती हैं कई रातें
वो अहसास जगाने के लिए
काट जाती हैं कई सांसें
एक गीत बनाने के लिए ......
ना तो दिन की खबर है
ना तो देह की फ़िक्र है
एक तुझ को मनाने के लिए
गुजर जाती हैं कई राहें
एक गीत बनाने के लिए ......
वो सब कुछ ही तो भीतर था
जो देखा है मैंने सब बाहर
पर खुद को समझने के लिए
गुजर जाती है कई जिंदगी
एक गीत बनाने के लिए ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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