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वो प्रेम मेरा



वो प्रेम मेरा

आज सारा किस्सा तमाम मैं करने आया हूँ
आज बता दूँ की तुझ से प्रेम करने आया हूँ मैं

किसी का कोई इतना इन्तजार नहीं करता
तेरे जितना यंहा इतना प्यार मुझ से कोई नही करता
उसी इश्क से ये आंखें चार करने आया हूँ मैं
आज बता दूँ की तुझ से प्रेम करने आया हूँ मैं

रखी हुयी है तूने मेरी सारी चीजें सँभाले हुये
आज उन्ही से मुलाकात करने आया हूँ मैं

एक हल्का सा अपना इशार तू दे दे मुझे
फिर एक बार अपने आँचल का सहारा तू दे दे मुझे
सँभल जाऊंगा आके मैं आगोश में तेरे
आज उन्ही से मुलाकात करने आया हूँ मैं

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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