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अपने सफर का अब शरू मैं आयाम करता हूँ

अपने सफर का अब शरू मैं आयाम करता हूँ
फासले बतायंगे कितनी कीमत मैं अदा करता हूँ

ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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