नरम शब्द
नरम शब्दों से खुले होंठ
क्या कहना
लंबी यात्रा की मिट गयी थकान
क्या कहना
बात कर रहे गाल लाल
क्या कहना
आंखों आँखों में उभरे सवाल
क्या कहना
आज चाँद निकल आया है जमीं पर
क्या कहना
बस दिल की धड़कनों का है शोर
क्या कहना
लम्हा ना गुजर जाये ये हसीन
क्या कहना
उन नरम शब्दों का था कमाल
क्या कहना
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ